Course Content
Madhykalin Bharat Ka Itihas
0/40
Adhunik Bharat Ka Itihas
0/33
भारत का सम्पूर्ण इतिहास | Bharat ka Itihas
About Lesson

द्वितीय कर्नाटक युध्द

द्वितीय कर्नाटक युध्द

  • कर्नाट्क द्वितीय युध्द 1749 से 1754 तक चला ये युध्द हैदराबाद, कर्नाटक और तंजौर के उत्तराधिकार के प्रश्न पर लडा गया
  • निजाम आसफजहाँ की 1748 ई. में मृत्यु हो जाने के बाद उनके पुत्र नासिफ जंग और पौत्र मुजफ्फर जंग ने उत्तराधिकार के लिए युध्द छेडा दूसरी ओर कर्नाटक के नबाब अलबरुद्दीन तथा उसके बहनोई चंदा साहिब के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुयी थी फ्रेंच गवर्नर डूपले ने हैदराबाद में मुजफ्फर जंग तथा एवं कर्नाटक में चंदा साहेब की दावेदारी एवं अंग्रेजों ने नासिर जंग तथा अलबरुद्दीन की दावेदारी का समर्थन किया

अलबरुद्दीन व नासिफ जंग की मृत्यु

  • मुजफ्फर जंग चंदा साहेब तथा फ्रांसिसियों की संयुक्त सेना 1749 में वेल्लोर के निकट अपूर्व नामक स्थान पर अलबरुद्दीन की सेना को परास्त करके अलबरुद्दीन को मार दिया 
  • दिसम्बर 1750 ई. में एक संघर्ष में नासिफ जंग भी मारा गया

दक्कन का सूबेदार 

  • मुजफ्फर जंग अब दक्कन का सूबेदार बन गया और उसकी प्रार्थना पर फ्रेंच सेना की एक टुकडी उसी के नेतृत्व में हैदराबाद में तैनात कर दी गयी

चंदा साहब की मृत्यु

    • 1751 ई. में चंदा साहब कर्नाटक का नबाब बन गया तंजौर के राजा ने धोके से उसकी हत्या कर दी 
  • अलबरुद्दीन के पुत्र मोहम्मद अली ने भाग कर तृष्णापल्ली में शरण ली जिसे तुरंत ना दबाकर चंदा साहब ने बडी गलती की और वह तंजौर विजय करने निकल पडा

तृष्णापल्ली  में फ्रांसिसियों की पराजय

  • फ्रांसिसियों ने 1750ई.में तृष्णापल्ली को घेरा परंतु स्ट्रिंगलस लॉस वाली बिट्रिश सेना के सामने फ्रांसिसियों को 1752 ई. में पराजय स्वीकार करनी पडी 
  • हैदराबाद में फरवरी 1751में एक छोटी सी जंग में मुजफ्फर जंग की मृत्यु हो गई 
  • फ्रांसिसियों ने सालार जंग को नबाब बनाया

फ्रांसिसियों की अंग्रेजों से हार 

  • तृष्णापल्ली में 1752 ई. में अंग्रेजों से हुई हार की जिम्मेदारी डूपले पर निर्धारित करते हुए उसे वापस बुला लिया गया और 1754 ई. में गोडेगू गोडमिल को भारत में फ्रांसिसियों का गवर्नर नियुक्त किया गया

अंग्रेजों और फ्रांसिसियों के बीच पाण्डुचेरी संधि

    • दिसम्बर 1754 ई. में अंग्रेजों और फ्रांसिसियों के बीच पाण्डुचेरी की संधि हुयी इसके तहत दोनों पक्षों ने भारतीय राजाओं के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने का आस्वाश्न दिया

Quick Revision

कार्नेटिक युद्ध – II ( 1749-54)

  • यह युद्ध हैदराबाद, कर्नाटक एवं तंजौर के उत्तराधिकार के प्रश्न पर लड़ा गया
  • निजाम आसफजाह की 1748 ई० में मृत्यु हो जाने के बाद में उसके पुत्र नासिर जंग एवं पौत्र मुजफ्फर जंग में उत्तराधिकार का संघर्ष छिड़ा गया।
  • दूसरी ओर कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन तथा उसके बहनोई चंदा साहिब के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई थी।
  • फ्रेंच गवर्नर डूप्ले ने हैदराबाद में मुजफ्फर जंग एवं कर्नाटक में चंदा साहिब की दावेदारी का एवं अंग्रेजों ने नासिर जंग तथा अनवरुद्दीन की दावेदारी का समर्थन किया।
  • मुजफ्फर जंग, चंदा साहिब तथा फ्रांसीसियों की संयुक्त सेना ने 1749 ई० में वेल्लौर के निकट अंबूर नामक स्थान पर अनवरुद्दीन की सेना को परास्त कर दिया तथा अनवरुद्दीन मारा गया।
  • दिसंबर, 1750 ई० में एक संघर्ष में नासिर जंग भी मारा गया। मुजफ्फर जंग अब दक्कन का सूबेदार बन गया एवं उसकी प्रार्थना पर फ्रेंच सेना की एक टुकड़ी बुस्सी के नेतृत्व में हैदराबाद में तैनात कर दी गई।
  • 1751 ई० में चंदा साहब कर्नाटक का नवाब बना। तंजौर के राजा ने धोखे से उसकी हत्या कर दी।
  • अनवरुद्दीन के पुत्र मुहम्मद अली ने भागकर त्रिचनापल्ली में शरण ली, जिसे तुरंत न दबाकर चंदा साहिब ने बड़ी गलती की तथा वह तंजौर विजय करने निकल पड़ा।
  • फ्रांसीसियों ने त्रिचिनापल्ली का घेरा 1750 ई० में डाला परंतु, अंतत: स्ट्रिंगर लॉरेंस के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सेना के सामने फ्रांसीसियों को 1752 ई० में पराजय स्वीकार करनी पड़ी।
  • हैदराबाद में फरवरी, 1751 में एक छोटी-सी झड़प में मुजफ्फर जंग की मृत्यु हो गई। फ्रांसीसियों ने सालार जंग को नवाब बनाया।
  • त्रिचनापल्ली में 1752 ई० में अंग्रेजों से मिली हार से हुए नुकसान की जिम्मेदारी डूप्ले पर निर्धारित करते हुए उसे वापस बुला लिया गया एवं 1754 ई० में गोडेहू कोनबिन को भारत में फ्रांसीसी प्रदेशों का गवर्नर नियुक्त किया गया।
  • दिसंबर, 1754 ई० में अंग्रेज एवं फ्रांसीसियों के बीच पांडिचेरी की संधि हुई। इसके तहत दोनों पक्षों ने भारतीय राजाओं के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आश्वासन दिया।

 

 

error: Content is protected !!