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Madhykalin Bharat Ka Itihas
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भारत का सम्पूर्ण इतिहास | Bharat ka Itihas
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आधुनिक भारत में सामाजिक-धार्मिक आंदोलन

19वीं शताब्दी में भारत में यूरोपीय तर्ज पर हुए पुर्णजागरण (सुधार आंदोलनों) को प्रकृति के आधार पर दो वर्गों में बांटा जा सकता है –

  1. सुधारवादी आंदोलन (Reformist movements) – ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज तथा अलीगढ़ आंदोलन सुधारवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते थे। 

2. पुनर्नवीकरण आंदोलन (Revivalist movements) – आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन एवं देवबंद आंदोलन पुनर्नवीकरण विचार धारा का प्रतिनिधित्व करते थे।

    1. धर्म सुधार का प्रारंभ देश के पूर्वी भाग बंगाल से हुआ।
    2. राजा राममोहन राय को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है।
    3. राजा राममोहन राय (1774-1833 ई०) अरबी, फारसी, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, ग्रीक, लैटिन, जर्मन और हिब्रू आदि भाषाओं के ज्ञाता थे।
    1. राममोहन राय ने वेदों एवं 5 मुख्य उपनिषदों का बंगला भाषा में अनुवाद किया।
    2. 1820 ई० में राममोहन राय ने परसेप्ट्स ऑफ ज्यूसुस नामक पुस्तक का प्रकाशन किया।
    3. राममोहन राय ने अपने खर्चे पर कलकत्ता में 1817 ई० में एक स्कूल की स्थापना की जिसमें अन्य विषयों के अलवा मैकेनिक्स एवं ‘वाल्टेयर’ के दर्शन का अध्ययन होता था।
    4. राममोहन राय द्वारा स्थापित वेदांत कॉलेज में भारतीय विद्या के अलावा सामाजिक एवं भौतिक विज्ञानों की पढ़ाई भी होती थी।
    5. राजा राममोहन राय ने फारसी ग्रंथ तोहफत – उल – मुवाहिदीन की रचना की जिसमें मूर्तिपूजा का विरोध एवं एकेश्वरवाद का समर्थन किया।
    6. राममोहन राय ने संवाद कौमुदी एवं मिरात – उल – अखबार जैसे पत्रों का संपादन किया।
    7. राममोहन राय ने 1809 ई० में गिफ्ट टू मोनोथिस्ट नामक पुस्तक का प्रकाशन करवाया।
    1. राममोहन राय ने 1828 ई० में ब्रह्म सभा नामक एक नये समाज की स्थापना की। जो बाद में ब्रह्म समाज के नाम से विख्यात हुआ।
    2. राजा राममोहन राय ने 1833 ई० में समाचार-पत्रों के नियमन के विरुद्ध एक प्रबल आंदोलन किया जिसके परिणामस्वरूप 1835 ई० में समाचार-पत्रों को कुछ स्वतंत्रता मिली।
    3. राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष किया एवं 1829 ई० में इसके खिलाफ कानून बनवाने में सफल रहे।
    4. 1833 ई० में राजा राममोहन राय की मृत्यु इंगलैंड में हुई।
    5. देवेन्द्र नाथ टैगोर (1818-1905 ई०) ने 1839 ई० से तत्वबोधिनी पत्रिका (उनके द्वारा स्थापित तत्व बोधिनी सभा का मुख्य अंग) का बंगला भाषा में प्रकाशन आरंभ किया।
    6.  देवेन्द्र नाथ टैगोर ने 1843 ई० में ब्रह्म समाज का नेतृत्व संभाला। उनके कार्यकाल में ब्रह्म समाज ने विधवा विवाह एवं स्त्री-शिक्षा के समर्थन में आंदोलन किये।
    1. देवेन्द्र नाथ टैगोर ने केशव चंद्र सेन (1834-84 ई०) को ब्रह्म समाज का आचार्य नियुक्त किया।
    2. केशव चंद्र सेन के अतिशय उदारवाद के कारण 1865 ई० में ब्रह्म समाज का मूल ब्रह्म समाज (देवेन्द्र नाथ टैगोर) एवं आदि ब्रह्म समाज (केशव चंद्र सेन) में विभाजन हो गया।
    3. 1878 ई० में आदि ब्रह्म समाज में केशव चंद्र सेन द्वारा अपनी 13 वर्षीय पुत्री की शादी वैदिक कर्मकांडों के साथ करने के कारण फूट पड़ गई तथा केशव चंद्र सेन ने साधारण ब्रह्म समाज की स्थापना की।
    4. कलकत्ता में 1817 ई० में स्थापित हिंदू कॉलेज के छात्रों ने 1828ई० में हेनरी विवियन डिरोजियो के नेतृत्व में यंग बंगाल आंदोलन किया
    5. यंग बंगाल आंदोलन पर 1789 के फ्रांसीसी क्रांति एवं मैजिनी की यंग इटली का प्रभाव था।
    6. डिरोजियो ने एकेडमिक एसोसिएसन एवं सोसायटी फॉर द एग्जीवीशन ऑफ जेनरल नॉलेज नामक संगठनों की स्थापना की।
    7. डिरोजियो ने एंग्लो-इंडियन हिंदू एसोसिएसन, बंगहित सभा तथा डिबेटिंग क्लब नामक संगठनों को भी स्थापना की। इन संगठनों में समाज के लिए उपयोगी प्रायः सभी प्रश्नों पर विचार किया जाता था।
    8. इस आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र हिंदू कॉलेज (कलकत्ता) था जहाँ से उन्हें 1831 ई० में निकाल दिया गया।
    1. इसके बाद डिरोजियो ने ईस्ट इंडिया नामक एक दैनिक पत्र का संपादन किया।
    2. डिरोजियो की मृत्यु के पश्चात कृष्ण मोहन बनर्जी, राम गोपाल घोष तथा महेश चंद्र घोष जैसे उनके शिष्यों ने उनके विचारों का प्रसार किया। 
    3. कलकत्ता के हिंदू कॉलेज की तरह बंबई में एलिफिंस्टन कॉलेज की स्थापना 1834 ई० में हुई। इस कॉलेज के छात्रों ने यंग बंबई नामक आंदोलन चलाया।
    4. महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन की शुरुआत परमहंस मंडली की गोपाल हरि देशमुख द्वारा की गई स्थापना से हुई।
    5. गोपाल हरि देशमुख को लोक तिवादी भी कहते हैं।
    6. 1867 ई० में महाराष्ट्र में केशव चंद्र सेन से प्रेरणा लेकर प्रार्थना समाज की स्थापना हुई |
    7. इस समाज ने अछूतों, दलितों तथा पीड़ितों की दशा सुधारने के लिए डिप्रेस्ड क्लास मिशन एवं सोशल सर्विस लीग की स्थापना की।
    8. एमजी राणाडे ने महाराष्ट्र में वीडो रिमैरेज एसोसियेसन, डेकन एजुकेशनल सोसायटी आदि संगठनों की स्थापना की।
    9. एम०जी० राणाडे के शिष्य ‘गोपाल कृष्ण गोखले’ ने सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की।
    1. समाज सुधार आंदोलन गुजरात में 1844 में तब आरंभ हुआ जब ‘मेहताजी दुर्गा राम मंचाराम’ (1809-76 ई०) ने मानव धर्म सभा एवं यूनीवर्सल रिलिजियस सोसायटी का गठन किया।
    2. अधिकांश गुजराती सुधारक गुजरात व कूलर सोसायटी (अहमदाबाद) से संबद्ध थे।
    3. दक्षिण भारत के मद्रास में 1864 ई० में वेद समाज की स्थापना हुई।
    4. 1871 ई० में के.के. श्रीधरालू नायडू ने वेद समाज का पुनर्गठन किया तथा इसका नाम ब्रह्म समाज ऑफ साऊथ इंडिया रखा।
    5. दक्षिण भारत में प्रार्थना समाज के प्रसार का सर्वाधिक श्रेय वीरेसलिंगम् पंतुलू को है। 1878 ई० में उन्होंने इस तेलुगू प्रदेश में आंदोलन की शुरुआत की।
    6. वीरेसलिंगम् ने 1878 ई० में राजमुंदरी सोशल रिफॉर्मस एसोसियेसन की स्थापना की।
    7. रामकृष्ण परमहंस (1834-86 ई०) के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु की स्मृति में 1897 ई० में रामकृष्ण मिशन नामक संस्था स्थापित की-रामकृष्ण मिशन ने निराकार ईश्वर की भक्ति एवं एकेश्वरवाद के सिद्धांत का प्रचार किया।
    1. स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875ई० में बंबई में आर्य समाज की स्थापना की
    2. आर्य समाज ने शिक्षा के प्रसार पर जोर देते हुए 1886 ई० में लाहौर में एक दयानंद एंग्लो-वैदिक (DAV) स्कूल की स्थापना की। भविष्य में देश भर में DAV स्कूल-कॉलेजों की श्रृंखला स्थापित हुई।
    3. 1889 ई० में दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल DAV College में तब्दील हो गया।
    4. शिक्षा देने की पश्चिमी पद्धति का कुछ आर्य समाजियों ने विरोध किया। परिणामस्वरूप इसमें विभाजन हो गया एवं 1902 ई० में स्वामी श्रद्धानंद ने हरिद्वार के समीप गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की थी।
    5. 1875 ई० में अमेरिका में थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना एक रूसी महिला हेलेना पेट्रोवना ब्लात्वस्की तथा एक अमेरिकी सैनिक अफसर हेनरी स्टील ऑलकॉट ने की थी।
    6. 1882 ई० में मद्रास के समीप अड्यार नामक स्थान पर थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय स्थापित किया गया।
    7. 1893 ई० में एक आयरिश महिला एनी बेसेंट ने ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ का नेतृत्व संभाला।
    8. एनी बेसेंट ने हिंदू एवं बौद्ध धर्मों के पुनर्जागरण का प्रयास किया। उन्होंने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनारस में एक सेंट्रल हिंदू स्कूल की स्थापना की।
  1. ‘सेंट्रल हिंदू स्कूल’ कुछ वर्षों बाद ‘सेंट्रल हिंदू कॉलेज में तथा 1915 ई० में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में तब्दील हो गया।
  2. एनी बेसेंट ने काली द मदर (1900 ई०) एवं द वे ऑफ इंडियन लाइफ नामक पुस्तकों की रचना की।
  3. अंग्रेजी सरकार ने 1870 ई० में बालिका-वध रोकने के लिए कुछ कानून बनाये।
  4. कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के आचार्य ईश्वर चंद्र विद्या सागर के विशेष प्रयासों से हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम-1856 ई० के तहत विधवा-विवाह को कानूनी वैधता प्राप्त हुई।
  5. 1899 ई० में प्रोफेसर डी० के० कर्वे ने पूना में एक विधवा आश्रम तथा 1906 ई० में बंबई में एक भारतीय महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की।
  6. भारतीय सुधारकों के प्रयासों का ही परिणाम था कि अंग्रेजी सरकार ने 1930 में बाल-विवाह के विरुद्ध शारदा एक्ट पारित कर लड़कों के विवाह करने की आयु 18 वर्ष एवं लड़कियों की 14 वर्ष निर्धारित कर दी।
  7. 1819 ई० में कलकत्ता में कलकता तरुण स्त्री सभा की स्थापना हुई।
  8. आगे चलकर कलकत्ता तरुणं स्त्री सभा के अध्यक्ष जे० ई० डी० बेथुन ने 1849 ई० में एक बालिका विद्यालय स्थापित किया जिसे बेथुन स्कूल कहा गया।
  9. 1927 ई० में अखिल भारतीय महिला सभा की स्थापना हुई।
  10. डॉ० भीम राव अंबेडकर ने अछूतोद्धार के उद्देश्य से ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लास फेडरेशन की स्थापना की।
  11. दक्षिण भारत में गैर-ब्राह्मण जातियों ने 1920 ई० में सेल्फ रिस्पेक्ट मूवमेंट चलाया।
  12. 1917 ई० में पी० त्यागराज एवं टी०एम० नायर ने प्रथम ब्राह्मण-इतर संस्था जस्टिस पार्टी का गठन किया। 1937 ई० में रामास्वामी नायकर (1879-1973 ई०) को इस दल का सभापति नियुक्त किया गया।
  13. नायकर के अनुयायी तथा मित्र सी० एन० अन्नादुरै (1909-69 ई०) ने 1944 ई० में जस्टिस पार्टी’ का नाम बदलकर द्रविड़ कड़गम रख दिया।
  14. सिंतबर 1949 ई० में ‘द्रविड़ कड़गम’ में विभाजन हो गया तथा अन्नादुरै ने अपने दल का नाम द्रविड़ मुन्नेत्रकड़गम (DMK) रखा।
  15. ज्योतिबा फूले (1827-90 ई०) ने 1873 ई० में सत्यशोधक समाज की स्थापना की जिसका मूल उद्देश्य निम्न जाति के लोगों को सामाजिक न्याय मुहैया कराना था।
  16. ज्योतिबा फूले को 1876 ई० में पुणे नगरपालिका का सदस्य चुन लिया गया।
  17. ज्योतिबा फूले ने धर्मतृतीय रत्न (पुराणों का भंडाफोड़), इशारा (एक चेतावनी) तथा शिवाजी की जीवनी आदि पुस्तकों का प्रकाशन किया।
 
 
 
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