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Madhykalin Bharat Ka Itihas
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Adhunik Bharat Ka Itihas
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भारत का सम्पूर्ण इतिहास | Bharat ka Itihas
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सूरत अधिवेशन तथा फूट (Surat Split) 1907 ई०

  • सन 1907 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन सूरत में हुआ था जिसकी अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी।
  • स्वराज शब्द को परिभाषित करने के सवाल पर उग्रवादियों एवं उदारवादियों में तीव्र मतभेद हो गये। उदारवादी इसका अर्थ औपनिवेशिक स्वशासन से समझते थे, जबकि उग्रवादियों को पूर्ण स्वराज से कम कुछ भी मंजूर नहीं था।
  • इसी अधिवेशन में कांग्रेस गरम दल और नरम दल नामक दो दलों में बंट गयी। इसी को सूरत विभाजन कहते हैं।
  • इस अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रथम बार ‘स्वराज’ की बात कही।
  • 1907 के कांग्रेस के सूरत विभाजन का कारण पार्टी में दो विचारधाराओं का जन्म लेना था जिसकी शुरुआत 1905 के बनारस अधिवेशन में ही हो गई थी जब गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में अधिवेशन हुआ तो बाल गंगाधर तिलक ने उदारवादियों की “याचिका एवं याचना की नीति” का कड़ा विरोध किया।
  • दिसम्बर 1906 में अध्यक्ष पद को लेकर कलकत्ता अधिवेशन में एकबार फिर मतभेद उभरकर सामने आया। उग्रवादी नेता, बालगंगाधर तिलक या लाला लाजपत राय में से किसी एक को अध्यक्ष बनाना चाहते थे जबकि नरमपंथी डा० रास बिहारी घोष के नाम का प्रस्ताव लाये।
  • परिणामस्वरूप कांग्रेस का नरम दल (नेतृत्व-गोपाल कृष्ण गोखले) एवं गरम दल (नेतृत्व-बाल गंगाधर तिलक) विभाजन हो गया।
  • ‘एनी बेसेंट’ ने इसे कांग्रेस के इतिहास में सबसे दुखदायी घटना बताया।

 

 

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