रसायन विज्ञान के कुछ विशेष तथ्य | परीक्षा में सवाल जरूर आता है
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संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। (father of chemistry) पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है।
रसायन विज्ञान के जनक (father of chemistry)
Chemistry रसायन विज्ञान (Chemistry in Hindi) विज्ञान की वह शाखा जिसमे पदार्थो की संरचना, पदार्थो के गुण, अलग अलग पदार्थो की आपस में क्रिया आदि का अध्ययन किया जाता है उस शाखा को रसायन विज्ञान (Chemistry -Rasayan Vigyan) कहते है। रसायन विज्ञान के जनक(father of chemistry) एंटोनी लेवोज़ियर हैं।
रसायन विज्ञान के कुछ विशेष तथ्य
1 | पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाए जाने वाला तत्व | ऑक्सीजन |
2 | पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातु | एल्युमिनियम |
3 | सबसे हल्का तत्व | हाइड्रोजन |
4 | सबसे भारी तत्व | ऑस्मियमा |
5 | सबसे हल्का धातु तत्व | लिथियम |
6 | द्रव धातु तत्व | पारा |
7 | द्रव अधातु तत्व | ब्रोमीन |
8 | विद्युत का सबसे अच्छा सुचालक तत्व | चांदी |
9 | विद्युत का सुचालक अधातु | ग्रेफाइट |
10 | सबसे अधिक आघात वर्धनीय तत्व | सोना |
11 | सबसे अधिक क्रियाशील अधातु तत्व | फ्लुओरीन |
12 | सबसे अधिक क्रियाशील धातु तत्व | सीजियम |
13 | सर्वाधिक आयनन विभव वाला तत्व | हीलियम |
14 | न्यूनतम आयरन विभव वाला तत्व | सीजियम |
15 | सर्वाधिक इलेक्ट्रॉनिक प्राप्ति वाला तत्व | क्लोरीन |
16 | सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मकत्मक तत्व | फ्लुओरीन |
17 | सबसे प्रबल ऑक्सीकारक पदार्थ | फ्लुओरीन |
18 | सर्वाधिक गैसीय तत्वों वाला वर्ग | शून्य वर्ग |
19 | एक परमाण्विक तत्व | अक्रिय गैसें |
20 | मानव शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाला तत्व | ऑक्सीजन |
21 | मिट्टी के तेल में रखा जाने वाला तत्व | सोडियम |
22 | हड्डियों एवं दांतों के निर्माण करने वाला प्रमुख तत्व | कैल्शियम |
अम्ल (ऐसिड)
- उन पदार्थों को कहते हैं जो पानी में घुलने पर खट्टे स्वाद के होते हैं (अम्ल = खट्टा), हल्दी से बनी रोली (कुंकम) को पीला कर देते हैं,तथा इनका जलीय विलयन नीले लिटमस पेपर को लाल करता है। अधिकांश धातुओं पर (जैसे जस्ते पर) अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं, और क्षारक को उदासीन (न्यूट्रल) कर देते हैं। मोटे हिसाब से क्षारक (बेस) उन पदार्थों को कहते हैं जिनका विलयन चिकना-चिकना सा लगता है (जैसे बाजा डिग्री सोडे का विलयन), स्वाद कडवा होता है, हल्दी को लाल कर देते हैं और अम्लों को उदासीन करते हैं। उदासीन करने का अर्थ है ऐसे पदार्थ (लवण) का बनाना जिसमें न अम्ल के गुण होते हैं, न क्षारक के।father of chemistry
- लवाज़िए ने (1770 ई. में) आक्सीजन के गुणों का अध्ययन करते समय देखा कि कार्बन, गंधक और फ़ास्फोरस सदृश तत्व जब आक्सीजन में जलते हैं तब उनसे बने आक्साइड जल के साथ मिलकर अम्ल बनाते हैं। वे इस परिणाम पर पहुँचे कि अम्लों में आक्सीजन रहता है और अम्लों की अम्लीयता का कारण आक्सीजन है। इसी कारण इस गैस का नाम “आक्सीजन” पड़ा, जिसका अर्थ होता है “अम्ल बनानेवाला पदार्थ” तथा इसी कारण जर्मन भाषा में आक्सीजन को “सायर स्टफ़” अर्थात् अम्ल पदार्थ कहते हैं।
- लवाज़िए ने ही अम्लों को दो वर्गों, अकार्बनिक अमलों और कार्बनिक अम्लों में विभक्त किया था। पीछे देखा गया कि कुछ तत्वों के आक्साइड पानी में घुलकर अम्ल नहीं बल्कि क्षार बनाते हैं और कुछ अम्लों में आक्सीजन बिलकुल नहीं होता। बर्टीले ने सन् 1787 में हाइड्रोसाइएनिक अम्ल, डेवी ने सन् 1810-11 में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सन् 1813 में हाइड्रियोडिक अम्ल का आविष्कार किया। इनमें से किसी में आक्सीजन नहीं है।father of chemistry
- आगे चलकर देखा गया है कि जो पदार्थ बिलकुल सूखे होते हैं, उनमें कोई अम्लीय अभिक्रिया नहीं होती। तब लोगों ने अम्लों को दो वर्गों में विभक्त किया, एक हाइड्रो-अम्ल और दूसरा आक्सी-अम्ल। पीछे सन् 1815 में डेवी ने सुझाव रखा कि अम्लों की अम्लीयता आक्सीजन के कारण नहीं, वरन् हाइड्रोजन के कारण है। डूलांग ने सन् 1815 में आक्सैलिक अम्ल का अध्ययन किया और इस परिणाम पर पहुँचे कि आक्सीजनवाले और बिना आक्सीजनवाले अम्लों में कोई भेद नहीं है।
- अम्लों में कोई ऐसा गुण नहीं है जिसे हम अम्लों का विशिष्ट लक्षण कह सकें। साधारण गुण ऊपर बताए जा चुके हैं। अम्ल और धातु की अभिक्रिया में अम्ल के अणु का एक, या एक से अधिक, हाइड्रोजन परमाणु धातुओं, धातुओं के आक्साइडों, हाइड्रोक्साइडों अथवा कार्बोनेटों से विस्थापित हो जाता है।
- ऐसे भी कुछ अम्ल हैं जो खट्टे होने के बदले मीठे होते हैं। ऐसा एक अम्ल ऐमिडो-फोस्फरिक अम्ल है। कुछ ऐसे भी अम्ल हैं जो क्षारहर नहीं होते। कुछ ऐसे भी क्षार हैं जिनका हाइड्रोजन धातुओं से विस्थापित हो जाता है। फिटकरी अम्ल नहीं है। इसमें विस्थापित होनेवाला कोई हाइड्रोजन भी नहीं है। पर यह स्वाद में खट्टा और क्रिया में क्षारहर होता है। यह नीले लिटमस को लाल भी कर देता है। इसी प्रकार सोडियम बाईसल्फाइड खट्टा और क्षारहर होता है। यह नीले लिटमस को लाल करता है। इसमें विस्थापित होनेवाला हाइड्रोजन भी है, पर यह अम्ल नहीं है। मिथेन अम्ल नहीं है, पर इसका हाइड्रोजन जस्ते से विस्थापित हो जाता है और इस प्रकार ज़िंक डाइमेथिल बनता है जो लवण नहीं है।
- अत: अम्ल की कोई संतोषप्रद परिभाषा अब तक नहीं दी जा सकी है। आयन सिद्धांत के आधार पर यदि हम अम्लों की परिभाषा देना चाहें तो कह सकते हैं कि अम्लों में हाइड्रोजन आयनों का रहना अत्यावश्यक है।
- सिलवियन ने सन् 1659 में पहले पहल अम्लों और क्षारकों में विभेद किया था। रूल ने सन् 1774 में क्षारक नाम उस पदार्थ को दिया जो अम्लों के साथ मिलकर लवण बनाता है। आजकल क्षारक उन आक्सीजन वाले पदार्थों को कहते हैं जो अम्लों के पूरक होते हैं। क्षार धातुओं, क्षारीयमृदा धातुओं और अन्य धातुओं के आक्साइड और वे सभी वस्तुएँ क्षारक हैं जो अम्लों के साथ मिलकर लवण बनाती हैं। आरंभ में क्षारक केवल उन धातुओं अथवा धातुओं के आक्साइडों के लिए व्यवह्रत होता था जो लवणों के “बेस” या आधार थे। लवणों के क्षारक आवश्यक अवयव हैं।
क्षारक
- वास्तव में वे पदार्थ हैं जो अम्ल के साथ मिलकर लवण और जल बनाते हैं। उदाहरणत:, जिंक आक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ मिलकर ज़िंक सल्फेट और जल बनाता हे। दाहक सोडा सल्फ़्यूरिक अम्ल के साथ मिलकर सोडियम सल्फेट और जल बनाता है। धातुओं के आक्साइड सामान्यत: क्षारक हैं। पर इसके अपवाद भी हैं।
- क्षारकों में धातुओं के आक्साइड और हाइड्राक्साइड हैं, पर सुविधा के लिए तत्वों के कुछ ऐसे समूह भी रखे गए हैं जो अम्लों के साथ मिलकर बिना जल बने ही लवण बनाते हैं। ऐसे क्षारकों में अमोनिया, हाइड्राक्सीलेमिन और फास्फीन हैं। द्रव अमोनिया घुल जाता है पर फीनोल्फथैलीन से कोई रंग नहीं देता। अत: कहाँ तक यह क्षारक कहा जा सकता है, यह बात संदिग्ध है।
- यद्यपि ऊपर की क्षारक की परिभाषा बड़ी असंतोषप्रद है, तथापि इससे अच्छी परिभाषा नहीं दी जा सकी है। क्षारक (बेस) और क्षार (ऐल्कैली) पर्यायवाची ज्ञब्द नहीं हैं। सब क्षार क्षारक हैं पर सब क्षारक क्षार नहीं हैं। क्षार-धातुओं के आक्साइड, जैसे सोडियम आक्साइड, जल में घुलकर हाइड्राक्साइड बनाते हैं। ये प्रबल क्षारकीय होते हैं। क्षारीय मृदाधातुओं के आक्साइड, जैसे कैलिसयम आक्साइड, जल में अल्प विलेय और अल्प क्षारीय होते हैं। अन्य धातुओं के आक्साइड जल में घुलते नहीं और उनके हाइड्राक्साइड परोक्ष रीतियों से ही बनाए जाते हैं।
- धातुओं के आक्साइड और हाइड्राक्साइड क्षारक होते हैं। क्षार धातुओं के आक्साइड जल में शीघ्र घुल जाते हैं। कुछ धातुओं के आक्साइड जल में कम विलेय होते हैं और कुछ धातुओं के आक्साइड जल में तनिक भी विलेय नहीं हैं। कुछ अधातुओं के हाइड्राइड, जैसे नाइट्रोजन और फास्फोरस के हाइड्राइड (क्रमश: अमोनिया और फास्फीन) भी भस्म होते हैं।
अम्ल भस्म एवं लवण
- अम्ल एसिड बदलता है – नीले लिटमस को लाल में
- किसी क्षारीय विलियन में लिटमस पेपर ले जाया जाए तो लिटमस पेपर का रंग कैसा हो जायेगा – नीला
- जल ना तो अम्लीय हैं और ना क्षारीय, क्योंकि – यह हाइड्रोजन आयन के समान संख्या में विघटित हो सकता है |
- अगर किसी घोल की pH7 से कम है तो वह घोल होगा – अम्लीय
- उदासीन (न्यूट्रल) घोल का pH7 होता है तो वह अम्लीय हो जाता है तब उसका pH – घट जाता है
- 25 डिग्री सेल्सियस पर उदासीन विलियन का pH है – 7.0
- 10 pH मान वाला घोल – एक क्षारीय घोल है
- पानी का pH मान है – 7
- मानव शरीर के रक्त का pH मूल्य होता है – 7.4
- नींबू के रस की pH वैल्यू कितनी होनी चाहिए – 7.0 से कम
- वायु के संपर्क में आने वाले ताजे भूतल-जल का pH थोड़ा कम हो जाता है, क्योंकि – भूतल जल की घुली हुई ऑक्सीजन वायु में पलायन करती है
- बफर विलयन का एक उदाहरण है – CH3COOH एवं CH3COONa
- कौन सा लवण जल अपघटित होता है – CH3COONa
- बफर विलयन से – किसी भी परिस्थिति pH में नहीं बदलता है
- जब एक अम्ल और क्षार क्रिया कर लवण बनाते हैं तो रासायनिक क्रिया को क्या कहते हैं – निष्प्रभावीकरण क्रिया
- साबुन और डिटर्जेंट का घोल होता है – अम्लीय
- लवण का घोल किसका एक मिश्रण है – पानी में सोडियम क्लोराइड
- अम्लों को हमेशा कांच के पात्र में रखा जाता है, धातु पात्र में नहीं क्यों – धातु उनमें संचित अम्लों से अभिक्रिया करते हैं
धातु (metals)-क्या है? – रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं।father of chemistry
अधातु (non-metals)क्या है?- रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है।
धातुओं तथा अधातुओं तथा उनके यौगिकों के उपयोग
1. | कोबाल्ट | कैंसर के इलाज में |
2. | निकेल | तेलों के हाइड्रोजनीकरण के उत्प्रेरक के रूप में |
3. | बोरियम | एक्स किरणों के अवशोषक के रूप में |
4. | एल्युमिनियम | बर्तन, तार, एल्युमिनियम पाउडर, पेंट, मिश्र धातु आदि के निर्माण में |
5. | जिंक | बैटरी बनाने में, हाइड्रोजन बनाने में, लोहे के जस्तीकरण में |
6. | पारा | अमलगम बनाने में, थर्मामीटर में, सिंदूर बनाने में, बैटरी बनाने में, हाइड्रोजन बनाने में, लोहे के जस्तीकरण में |
7. | तांबा | बिजली के तार बनाने में, मिश्रधातु के निर्माण में |
8. | कैल्शियम | अवकारक के रूप में, पेट्रोलियम से सल्फर हटाने में |
9. | मैग्नीशियम | फ्लैश बल्ब बनाने में, धातु मिश्रण बनाने में |
10. | सोडियम | सोडियम परॉक्साइड बनाने में |
11. | टंगस्टन | विद्युत बल्ब का फिलामेंट बनाने में |
12. | प्लेटिनम | एडम उत्प्रेरक के रूप में |
13. | कैडमियम | नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक के रूप में |
14. | सीजियम | सौर सेलों में |
15. | जर्मनियम | ट्रांजिस्टर बनाने में |
16. | एंटीमनी | दियासलाई बनाने में |
17. | यूरेनियम | परमाणु भट्टी में ईंधन के रूप में |
18. | सिलिकॉन | इलेक्ट्रॉनिक्स में |
19. | पेलेडियम | वायुयान के निर्माण में |
20. | थोरियम | परमाणु भट्टी में ईंधन के रूप में |
21. | सोना | आभूषण निर्माण में |
22. | चांदी | आभूषण बनाने में, लुनर कास्टिक बनाने में, चांदी के लवण का उपयोग, फोटोग्राफी में आदि | |
23. | सीसा | फ्यूज बनाने में, मिश्रधातुओं के निर्माण में, टेट्राइथल लेड नामक अपस्फोटनरोधी यौगिक के निर्माण में आदि | |
24. | लोहा | मिश्र धातुओं के निर्माण में मशीनों के निर्माण में, कलपुर्जों के निर्माण में |
25. | हाइड्रोजन | अमोनिया के उत्पादन में, रॉकेट ईंधन के रूप में कार्बनिक यौगिक के निर्माण में आदि | |
26. | द्रव हाइड्रोजन | रॉकेट ईंधन के रूप में |
27. | हीलियम | श्वसन के लिए हीलियम-ऑक्सीजन मिश्रण बनाने में, हवाई जहाज के टायरों में हवा भरने में, निम्न तापीय भौतिकी के लिए |
28. | आर्गन | विद्युत बल्बों के निर्माण में |
29. | ओजोन | भोज्य पदार्थों को सड़ने से बचाने में, कृत्रिम रेशम एवं कपूर बनाने में, जीवाणुनाशी के रूप में, जल को शुद्ध करने में आदि | |
30. | सल्फर | कीटाणुनाशक के रूप में, बारूद बनाने में, औषधि के रूप में आदि | |
31. | फास्फोरस | लाल फास्फोरस का उपयोग दियासलाई बनाने में, श्वेत फास्फोरस का उपयोग चूहा विष बनाने में, फास्फोरस ब्रांज मिश्र धातु बनाने में आदि | |
32. | क्लोरीन | ब्लीचिंग पाउडर बनाने में, मस्टर्ड गैस बनाने में, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनाने में, कपड़े एवं कागज को विरंजित करने में आदि | |
33. | ब्रोमीन | रंग उद्योग में, औषधि बनाने में, प्रतिकारक के रूप में आदि | |
34. | आयोडीन | टिंक्चर आयोडीन बनाने में, रंग उद्योग में, कीटाणुनाशक के रूप में, आयडोफार्म के निर्माण में आदि | |
35. | रेडॉन | रेडियोधर्मिता गुण के कारण कैंसर के उपचार में |
36. | क्रिपटॉन | विद्युत विसर्जन नालियों में |
37. | निऑन | चमकीले विद्युत विज्ञापनों में |
38. | भारी जल | नाभिकीय प्रतिक्रियाओं में, मंदक के रूप में, ड्यूटेरेटेड यौगिक के निर्माण में, ट्रेसर के रूप में आदि | |
39. | हाइड्रोजन पेरोक्साइड | ऑक्सीकारक के रूप में, कीटाणुनाशक के रूप में, जर्मनाशी एवं प्रतिरोधी के रूप में, पुराने तेल चित्रों को पुनः सफेद करने में, रेशम, ऊन, चमड़ा आदि के विरंजन में आदि | |
40. | जल गैस | ईंधन के रूप में, अपचायक के रूप में, अल्कोहल के निर्माण में आदि | |
41. | हाइड्रोजन सल्फाइड | सल्फाइड के निर्माण में, लवणों के भास्मिक मूलकों के गुणात्मक विश्लेषण में आदि | |
42. | सल्फ्यूरिक अम्ल | स्टोरेज बैटरी में, प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में, रंग उत्पादन में, पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में, लेड संचायक बैटरी बनाने में आदि | |
43. | नाइट्रिक अम्ल | कृत्रिम रेशम रंग एवं औषधियों के निर्माण में, विस्फोटकों के निर्माण में आदि | |
44. | हाइड्रोक्लोरिक अम्ल | क्लोरीन बनाने में, अम्लराज बनाने में रंग बनाने में, क्लोराइड लवण के निर्माण में आदि | |
45. | कार्बन मोनोऑक्साइड | फास्जीन गैस बनाने में, जल गैस बनाने में, प्रोड्यूशर गैस बनाने में आदि | |
46. | कार्बन डाइऑक्साइड | आग बुझाने में, सोडा वाटर बनाने में, शीतल पेय पदार्थों के निर्माण में, शुष्क बर्फ के निर्माण में आदि | |
47. | हीरा | कांच काटने में, आभूषणों के निर्माण में आदि | |
48. | प्रोड्यूशर गैस | ईंधन के रूप में, निष्क्रिय वातावरण तैयार करने में आदि | |
49. | कोल गैस | ईंधन के रूप में निष्क्रिय वातावरण तैयार करने में आदि | |
50. | सल्फर डाइऑक्साइड | अवकारक के रूप में, ऑक्सीकारक के रूप में, विरंजक के रूप में आदि | |
51. | सोडियम बाइकार्बोनेट | बेकरी उद्योग में, अग्निशामक में, प्रतिकारक के रूप में, ठंडे पेय पदार्थ बनाने में, दवाओं में सोडा वाटर बनाने में आदि | |
1. | सोडियम कार्बोनेट | कपड़े साफ करने में, डिटर्जेंट पाउडर के रूप में, जल शुद्धिकरण के रूप में, रंजक द्रव्यों के निर्माण में आदि | |
2. | कास्टिक सोडा | साबुन बनाने में, रेशम उद्योग में, CO2 को अवशोषित करने में ,पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में आदि | |
3. | नौसादर | कपड़ों को रंगने में, दवाओं के निर्माण में, शुष्क सेलों के निर्माण में आदि | |
4. | साधारण नमक | खाने के रूप में, बर्फ के साथ-हिम मिश्रण बनाने में, विभिन्न पदार्थो के संरक्षण में, अनेक रासायनिक पदार्थो के निर्माण में आदि | |
5. | लाल लेड | लाल पेंट बनाने में, सीमेंट एवं माचिस उद्योग में आदि | |
6. | बेसिक लेड कार्बोनेट | पेंट बनाने में |
7. | जिंक क्लोराइड | निर्जलीकारक के रूप में, लकड़ी के कीड़ों से बचाने में आदि |
8. | जिंक ऑक्साइड | मल्हम बनाने में, पेर्सेलिन में चमक पैदा करने में आदि | |
9. | जिंक सल्फाइड | श्वेत पिंकमेंट के रूप में |
10. | जिंक क्लोराइड | वस्त्र उद्योग में, कार्बनिक संश्लेषण में आदि | |
11. | जिंक सल्फेट | लिथोपोन के निर्माण में, चर्म उद्योग में, आंखें के लिए लोशन बनाने में आदि | |
12. | म्यूरिक क्लोराइड | कीटनाशक के रूप में, कैलोमल के निर्माण में आदि | |
13. | मरक्यूरिक ऑक्साइड | विष के रूप में, मल्हम बनाने में आदि | |
14. | सिल्वर नाइट्रेट | औषधियों के निर्माण में, फोटोग्राफी में लवणों के निर्माण में, दर्पण की पॉलिश करने में, त्वचा में काल निशान की स्याही के रूप में आदि | |
15. | सिल्वर ब्रोमाइड | फोटोग्राफी में |
16. | सिल्वर आयोडाइड | फोटोक्रोमिक कांच के निर्माण में, कृत्रिम वर्षा कराने में आदि | |
17. | कॉपर सल्फेट | कीटाणुनाशक के रूप में, विद्युत सेलों में, कॉपर शुद्धिकरण में, रंग बनाने में आदि | |
18. | क्यूप्रिक ऑक्साइड | पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में, नीला तथा हरा कांच के निर्माण में आदि | |
19. | क्यूप्रस ऑक्साइड | लाल कांच के निर्माण में, पेस्टेसाइड के रूप में आदि | |
20. | क्यूप्रिक क्लोराइड | ऑक्सीकारक के रूप में, जल शुद्धिकरण में, धागे की रंगाई में आदि | |
21. | मैग्नीशियम कार्बोनेट | दवा बनाने में, दंत मंजन बनाने में, जिप्सम साल्ट बनाने में आदि | |
22. | मैग्नीशियम ऑक्साइड | औषधि निर्माण में, रबड़ पूरक के रूप में बॉयलर के प्रयोग में आदि | |
23. | मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड | चीनी उद्योग में मोलासेस से चीनी तैयार करने में |
24. | फेरिक क्लोराइड | रक्तस्राव रोकने में, संकर यौगिक बनाने में आदि | |
25. | फेरस अमोनियम सल्फेट | अपचायक के रूप में, नीली स्याही के निर्माण में, चमड़ा उद्योग में आदि | |
26. | फेरस ऑक्साइड | हरे कांच बनाने में, फेरस लवणों के निर्माण में आदि | |
27. | फेरिक ऑक्साइड | आभूषणों में पॉलिश करने में, फेरिक लवणों के निर्माण में आदि | |
28. | फेरस सल्फेट | रंग उद्योग में, मोहर लवण बनाने में, स्याही बनाने में आदि | |
29. | फेरिक हाइड्रोक्साइड | प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में, दवा बनाने में आदि | |
30. | जिप्सम | प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने में, अमोनियम सल्फेट बनाने में, सीमेंट उद्योग में आदि | |
31. | प्लास्टर ऑफ पेरिस | मूर्तियां बनाने में, शल्य चिकित्सा में, पट्टी बनाने में, खिलौना बनाने में आदि | |
32. | कैल्शियम कार्बाइड | एसिटिलीन बनाने में, कैल्शियम साइनाइड बनाने में आदि | |
33. | कैल्शियम ऑक्साइड | ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) बनाने में, गारे के रुप में आदि | |
34. | कैल्शियम कार्बोनेट | टूथपेस्ट बनाने में, चूना बनाने में आदि | |
35. | ब्लीचिंग पाउडर | कीटाणुनाशक के रूप में, कागज तथा कपड़ों के विरंजन में क्लोरीन बनाने में किलो क्लोरोफॉर्म बनाने में जल के शुद्धीकरण आदि | |
36. | मोना पोटेशियम टैर्टरेट | बेकरी उद्योग में |
37. | सुहागा | जल को मृदु करने में, चमड़े को साफ करने में, चमड़े की रंगाई करने में आदि | |
38. | बोरिक अम्ल | खाद्य पदार्थों के संरक्षण में, पूर्तिरोधी के रूप में आदि | |
39. | माइक्रो कॉस्मेटिक सॉल्ट | रंगीन क्षार मूलकों के परीक्षण में |
40. | ऑर्थोफास्फोरिक | परिरक्षण के रूप में, उर्वरकों के निर्माण में पदार्थों को अग्निसह बनाने में आदि | |
41. | फिटकरी | औषधि निर्माण में, जल के शुद्धिकरण में, चमड़ा उद्योग में, कपड़ों की रंगाई में, रक्तस्राव रोकने में आदि | |
42. | नाइट्रस ऑक्साइड | शल्य चिकित्सा में, निश्चेतक के रूप में, धातु एजाइड के रूप में आदि | |
43. | एलुमिनियम क्लोराइड | रंगाई एवं छपाई में, पेट्रोलियम के भंजन में आदि | |
44. | नाइट्रस अम्ल | ऑक्सीकारक के रूप में, अवकारक के रूप में, यूरिया की मात्रा के निर्धारण में आदि | |
45. | अमोनिया | बर्फ बनाने में, यूरिया, अमोनिया सल्फेट आदि उर्वरक बनाने में, अमोनिया लवण बनाने में, विस्फोटक पदार्थ बनाने में, कृत्रिम रेशा बनाने में आदि | |
46. | बेसिक लेड एसीटेट | सफेदा बनाने में |
47. | लेड एसीटेट | रंगाई और छपाई में रंग बंधक के रूप में, त्वचा रोगों (एक्जिमा) के उपचार में आदि | |
48. | स्कैनस क्लोराइड | अपचायक के रूप में, रंगाई और छपाई में रंग बंधक के रूप में, कार्सियास पर्पिल बनाने में आदि | |
49. | क्रोम एलम | बंधक के रूप में, जल के शोधन में बहते हुए रक्त को रोकने में, चमड़ा एवं कागज उद्योग में आदि | |
50. | क्यूप्रस क्लोराइड | अपचायक के रूप में, गैस विश्लेषण में, कयूप्रस एसिटिलाइड बनाने में, एसिटिलीन के शोधन में आदि | |
51. | फास्फीन | कैल्शियम फास्फाईट धूम्रपट बनाने में |
52. | कैल्शियम फास्फाइड | घरेलू सिग्नल के रूप में समुद्री जहाजों को संकेत देने में |
53. | आर्सेनिक डाइऑक्साइड | कीटनाशक के रूप में, अपतरण के रूप में, खाल और चमड़ा के संरक्षण में, औषधीय बनाने में आदि | |
रेडियो सक्रियता
- रेडियो सक्रियता की खोज किसने की थी – हेनरी बेक्वेरल
- रेडियोधर्मी तत्व कितने प्रकार की किरणें छोड़ते हैं – 3
- एक रेडियोधर्मी पदार्थ किसका उत्सर्जन करता है – एल्फा कण, बीटा कण,गामा कण
- एल्फा एवं बीटा किरणों की खोज किसने की थी – अर्नेस्ट रदरफोर्ड
- रेडियो सक्रिय पदार्थ द्वारा उत्सर्जित बीटा किरणों में होता है – न्यूक्लियस द्वारा उत्सर्जित आवेशित कण
- रेडियो सक्रिय किरणों में किसकी वेधन क्षमता अधिक होती है – गामा किरण
- गामा किरणें होती है – उच्च ऊर्जा वाली विद्युत चुंबकीय तरंगें
- वह प्रक्रिया जिसमें एक भारी नाभिक टूट कर दो या दो से अधिक नाभिक में बदलते हैं तथा अधिक मात्रा में ऊष्मा प्रदान करता है वह कहलाता है – नाभिकीय विखंडन
- नाभिकीय रिएक्टर में ऊर्जा उत्पन्न होती है – नियंत्रित नाभिकीय विखंडन से
- नाभिकीय रिएक्टर में विमंदक का क्या कार्य है – द्वितीयक न्यूट्रॉन को धीमा करना
- ब्रीडर रिएक्टर में शीतलक के रूप में किसका उपयोग होता है – सोडियम
- कुछ न्यूक्लियर रिएक्टरों में मंदक के रूप में भारी जल का प्रयोग किया जाता है भारी जल है – जिसमें हाइड्रोजन परमाणुओं की बजाय ड्यूटेरियम होता है
- विखंडन की प्रक्रिया उत्तरदाई है – एटम बम में ऊर्जा मुक्त करने में
- न्यूक्लियर पावर स्टेशन में ऊष्मा उत्पन्न करने हेतु साधारणत: किस ईंधन का प्रयोग होता है – यूरेनियम 235
- सूर्य की विकरित ऊर्जा में होती है – नाभिकीय संलयन
- सूर्य में ऊर्जा किस प्रक्रिया से पैदा होती है – हाइड्रोजन का संलयन
- तारे में से उत्सर्जित ऊर्जा के लिए कौन कारणभूत है – संलयन
- विखंडन की प्रक्रिया उत्तरदाई होती है – परमाणु बम में ऊर्जा मुक्त करने हेतु
- नाभिकीय विखंडन में ऊर्जा किस रूप में निकलती है – रासायनिक ऊर्जा
- पृथ्वी की आयु का आकलन किससे किया जाता है – यूरेनियम डेटिंग
- रेडियो कार्बन काल निर्धारण तकनीक का उपयोग किसकी आयु पता करने के लिए किया जाता है – जीवाश्म
- पृथ्वी के भूपृष्ठ की उम्र – आकलन की विधि, जिसे अब सबसे सटीक मानी जाती है …….की दर का इस्तेमाल करती है – परमाण्विक विघटन
- रेडियम का अर्ध्दायुकाल 16 वर्ष है इसका उत्तर आयु काल होगा – 2319 वर्ष
- मौसम विज्ञान में किसका प्रयोग होता है – रेडियो सक्रिय गैस
- रेडियोएक्टिव अपशिष्ट जोखिम भरे होते हैं क्योंकि वातावरण में उनकी उपस्थिति द्वारा – जीवो में कायिक और अनुवांशिक शक्तियां होती हैं
धातुओं के रासायनिक गुण
- लगभग सभी धातुएं ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके संगत धातु ऑक्साइड बनाती हैं| धातु ऑक्साइड क्षारकीय होती है ऐलुमिनियम आक्साइड, जिंक ऑक्साइड जैसे कुछ धातु ऑक्साइड अम्लीय तथा क्षारकीय दोनों प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करते हैं |
- ऐसे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षारक दोनों से अभिक्रिया करके लवण तथा जल प्रदान करते हैं, उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते हैं |
- पोटेशियम तथा सोडियम जैसी कुछ धातुएँ वायु से इतनी तेजी से अभिक्रिया करती है कि खुले में रखने पर ये तुरंत ही आग पकड़ लेती है अतः सुरक्षित रखने तथा आकस्मिक आग को रोकने के लिए इन्हें केरोसिन तेल में डुबोकर रखा जाता है |
- जल के साथ अभिक्रिया करके धातुएँ हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड उत्पन्न करती हैं| जल में विलेय धातु ऑक्साइड जल में घुलकर धातु हाइड्रोक्साइड प्रदान करते हैं| लेकिन सभी धातुएं जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती हैं |
- धातुएँ अम्ल के साथ अभिक्रिया करके संगत लवण तथा हाइड्रोजन गैस प्रदान करती हैं |
धातुओं की सक्रियता श्रेणी
- धातुओं को उनकी अभिक्रियाशीलता के घटते क्रम में रखने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है, वह सक्रियता श्रेणी कहलाती है| हाइड्रोजन से ऊपर स्थित धातुएँ तनु अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित कर देती हैं एक अधिक अभिक्रियाशील धातु, कम अभिक्रियाशील धातु को उसके लवण के विलयन से विस्थापित कर देती है |
- चांदी एवं सोना धातु अत्यंत अधिक ताप पर भी ऑक्सीजन से क्रिया नहीं करती हैं यह धातुएं जल एवं उनके साथ भी अभिक्रिया नहीं करती हैं |
- ऐक्वा-रेजिया (रॉयल जल का लैटिन शब्द) या अम्लराज 3:1 के अनुपात में सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सांद्र नाइट्रिक अम्ल का ताजा मिश्रण होता है सोने को गला सकता है यह सोने यह प्रबल संक्षारक होता है |
- टाइटेनियम को भविष्य की धातु कहा जाता है |
धातुओं की सक्रियता श्रेणी
तत्वों के संकेत | तत्वों के नाम |
K | पोटेशियम |
Na | सोडियम |
Ca | कैल्शियम |
Mg | मैग्नीशियम |
Al | एलुमिनियम |
Zn | जिंक |
Fe | आयरन |
Pb | लेड (सीसा) |
H | हाइड्रोजन |
Cu | कॉपर (तांबा) |
Hg | मरकरी (पारा) |
Ag | चांदी (सिल्वर) |
Au | सोना (गोल्ड) |
कुछ धातुएं ज्वाला में गर्म करने पर ज्वाला को विशिष्ट रंग प्रदान करती हैं इनका उपयोग आतिशबाजी में रंग उत्पन्न करने के लिए किया जाता है |
धातु | ज्वाला का रंग |
Li | लाल |
Na | पीला |
K | लाइलैक |
Rb | बैंगनी |
Cs | नीला |
Ca | ईट जैसा लाल |
Ba | सेब जैसा हरा |
Sr | सुनहरा लाल रंग |