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हिन्दी-व्याकरण | Hindi Grammar Tutorials
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वचन किसे कहते हैं ? वचन की परिभाषा और भेद

Vachan kise kahate hain (वचन किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं)

वचन की परिभाषा

वचन का अर्थ होता है — बोली, लेकिन हिन्दी व्याकरण में ‘वचन’ संख्याबोधक होता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या (एक या अनेक) का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
जैसे — 
लड़का, लड़की, कुत्ता, घोड़ा, मैं आदि।   एक का बोध 
लड़के, लड़कियाँ, कुत्ते, घोड़े, हम आदि। — अनेक का बोध
 

वचन के भेद (vachan ke bhed)

अब हम बात करते है वचन कितने प्रकार के होते है या वचन के कितने भेद होते है तो मुख्य रुप से वचन के दो भेद हैं।
 
(1). एकवचन (Singular Number)
(2). बहुवचन (Plural Number) 
 
एकवचन — शब्द के जिस रूप से एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे — लड़का, घोड़ा, कुत्ता, कलम, बहन, लड़की, शाखा, मैं, तू आदि।
 
बहुवचन — शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे — लड़के, घोड़े, कुत्ते, कलमें, बहनें, लड़कियाँ, शाखाएँ, हम, तुम आदि।
 

बहुवचन बनाने के नियम

बहुवचन दो प्रकार से बनते हैं — विभक्तिरहित और विभक्तिसहित।
 
एकवचन — लड़का
बहुवचन (विभक्तिरहित) — लड़के
बहुवचन (विभक्तिसहित) — लड़कों (ने, का, के, की, में, पर आदि)
 
एकवचन — बालक
बहुवचन (विभक्तिरहित) — बालक
बहुवचन (विभक्तिसहित) — बालकों (ने, का, के, की, में, पर आदि)
 
एकवचन — कुआँ
बहुवचन (विभक्तिरहित) — कुएँ
बहुवचन (विभक्तिसहित) — कुँओं (ने, का, के, की, में, पर आदि)
 
एकवचन — लता 
बहुवचन (विभक्तिरहित) — लताएँ
बहुवचन (विभक्तिसहित) — लताओं (ने, का, के, की, में, पर आदि)
 
एकवचन — गाय
बहुवचन (विभक्तिरहित) — गायें
बहुवचन (विभक्तिसहित) — गायों (ने, का, के, की, में, पर आदि)
 
यहाँ विभक्तिरहित और विभक्तिसहित बहुवचन बनाने के विभिन्न नियमों को हम विस्तार मे जानेंगे। एकवचन से बहुवचन बनाने के निम्नलिखित नियम हैं —
 

पुंलिंग शब्दों के बहुवचन कैसे बनाए

(1) — आकारांत पुंलिंग संज्ञा के ‘आ’ को ‘ए’ में बदलने से बहुवचन बनता है। जैसे —
एकवचन : लड़का , कमरा , घोड़ा , कुत्ता , सोफा।
बहुवचन : लड़के , कमरे , घोड़े , कुत्ते , सोफे। 
 
ऐसे कुछ शब्द हैं — मेला , केला , चेला , ठेला , गमला , ताला , मसाला , बकरा , बछड़ा , कपड़ा , भेड़ा , जूता , छाता , रास्ता , कुरता , आटा , काँटा , बेटा , पराँठा , अँगूठा , चना , खिलौना , गन्ना, पंखा , चरखा , चश्मा , तारा , चौराहा आदि।
 
अब विभक्तिरहित या विभक्तिसहित उपर्युक्त संज्ञा-शब्दों को वाक्य प्रयोग की दृष्टि से देखें
 
एकवचन (विभक्तिरहित) : लड़का पढ़ता है । कमरा साफ है । घोड़ा मोटा है।
बहुवचन (विभक्तिरहित) : लड़के पढ़ते हैं । कमरे साफ हैं । घोड़े मोटे हैं।
 
लेकिन, एकवचन में विभक्ति का प्रयोग हो, तो ऐसे आकारांत पुंलिंग शब्द एकारांत हो जाते हैं। जैसे — 
एकवचन (विभक्तिसहित) : एक लड़के ने, एक कमरे में, एक सोफे पर, एक बच्चे को, एक पूए के लिए रोते देखा।
 
ऊपर के वाक्यों में प्रयुक्त ‘ ने ‘ , ‘ में ‘ , ‘ पर ‘ आदि विभक्तियाँ हैं। ऐसे शब्दों का प्रयोग बहुवचन में विभक्ति के साथ करना ह , तो इस प्रकार करें 
 
बहुवचन (विभक्तिसहित) : लड़कों ने , कमरों में , सोफों पर , बच्चों को , पूओं के लिए रोते देखा ।
 
अपवाद — लेकिन , कुछ आकारांत पुंलिंग संज्ञाएँ दोनों वचनों में विभक्तिरहित एक ही रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे — 
बाबा , दादा , नाना , काका , चाचा , मामा , पिता , कर्ता , दाता , देवता , जामाता , योद्धा , युवा , राजा आदि। 
 
एकवचन : उसे एक मामा है । मामा ने कहा । मैं राजा हूँ।
बहुवचन : उसे दो मामा । दोनों मामा ने कहा । हमलोग राजा हैं।
 
नोट — (क) ऐसे शब्दों का प्रयोग इस प्रकार न करें — 
एकवचन : दादे ने , नाने से , मामे की — गलत प्रयोग।
बहुवचन : दादाओं ने , नानाओं से , मामाओं की — गलत प्रयोग।
 
लेकिन , संस्कृत के आकारांत शब्दों (योद्धा , पिता , राजा , कर्ता आदि) के अंत में ‘ ओं ‘ , लगाकर विभक्तिसहित बहुवचन बनाए जाते हैं। जैसे — 
राजाओं ने , राजाओं को , राजाओं से , राजाओं के लिए ; योद्धाओं ने , योद्धाओं को , योद्धाओं से , योद्धाओं के लिए।
 
(ख) विभक्तिरहित या विभक्तिसहित आकारांत पुंलिंग संज्ञा शब्दों के एकवचन एवं बहुवचन प्रयोग में सावधानी बरतें —
एकवचन : लड़का खाता है । लड़के को खिलाओ । लड़के ने कहा ।
बहुवचन : लड़के खाते हैं । लड़कों को खिलाओ । लड़कों ने कहा । 
 
(2) — एकवचन आकारांत पुंलिंग संज्ञाओं को छोड़कर अन्य स्वरों (अ, इ, ई. उ, ऊ, ए, ओ, औ) से अंत होने वाले शब्द दोनों वचनों में एक ही रूप में रहते हैं और वचन की पहचान वाक्य में प्रयुक्त क्रिया से होती है।
जैसे —
एकवचन : बालक पढ़ता है । कवि कहता है । भाई आया । साधु पूजता है । उल्लू बैठा है । 
बहुवचन : (दो) बालक पढ़ते हैं । (सभी) कवि कहते हैं । (दोनों) भाई आये । (कई) साधु पूजते हैं । (कितने) उल्लू बैठे हैं ?
 
ऐसे कुछ शब्द हैं — बालक , नर , घर , कवि , ऋषि , मुनि , स्वामी, सिपाही , गुरु , कृपालु , भालू , डाकू , दूबे , चौबे , कोदो , रासो , सरसों , जौ , गौ आदि । इनका विभक्तिसहित बहुवचन होगा 
बालक — बालकों ने , बालकों को , बालकों से आदि।
कवि — कवियों ने , कवियों को , कवियों से आदि।
सिपाही — सिपाहियों ने , सिपाहियों को , सिपाहियों से आदि।
गुरु — गुरुओं ने , गुरुओं को , गुरुओं से आदि।
डाकू — डाकुओं ने , डाकुओं को , डाकुओं से आदि।
चौबे — चौबेओं ने , चौबेओं को , चौबेओं से आदि।
जौ — जौओं ने , जौओं को , जौओं से आदि।
 
लेकिन , जिनमें पहले से ‘ ओं ‘ लगा हुआ है , उनका रूप ज्यों-का-त्यों रहेगा। जैसे —
सरसों — सरसों ने , सरसों को , सरसों से आदि।
 
(3) — एकवचन पुंलिंग शब्दों के ‘ आँ ‘ को ‘ एँ ‘ में बदलने से विभक्तिरहित बहुवचन बनता है। जैसे — 
रोआँ – रोएँ , धुआँ – धुएँ , कुआँ – कुएँ आदि।
 
विभक्तिसहित बहुवचन का रूप होगा — रोओं , धुओं , कुओं आदि।
एकवचन : मुझे एक कुआँ है । उस कुएँ का पानी मीठा है 
बहुवचन : मुझे दो कुएँ हैं । उन कुओं का पानी मीठा है ।
 

स्त्रीलिंग शब्दों के बहुवचन कैसे बनाए

(1) — एकवचन अकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा के अंतिम ‘ अ ‘ को ” एँ कर देने से बहुवचन बनता है। जैसे —
एकवचन : गाय, पुस्तक, किताब, झील, लात, आँख। 
बहुवचन : गायें, पुस्तकें, किताबें, झीलें, लातें, आँखें।
 
ऐसे कुछ शब्द है — आह , राह , मेज , मंजिल , दाल , खाल , पूँछ , पूँछ , फसल , गजल , रात , बात , आफत , आदत , जान , खान , लाश , घास , नहर , लहर , खबर कलम , पेंसिल , जोंक आदि।
 
एकवचन : यह गाय मेरी है। इसकी एक आँख आ गयी है।
बहुवचन (विभक्तिरहित) : ये गायें मेरी हैं। इनकी आँखें आ गयी हैं।
बहुवचन (विभक्तिसहित) : इन गायों की आँखों में लाली आ गयी है।
 
(2) — एकवचन आकारांत , उकारांत एवं ऊकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा के अंत में ‘ एँ ‘ जोड़ने से बहुवचन बनता है। जैसे —
एकवचन : लता , कथा , भाषा , समस्या , ऋतु।
बहुवचन : लताएँ , कथाएँ , भाषाएँ , समस्याएँ , ऋतुएँ।
 
ऐसे कुछ शब्द हैं — घटना , रचना , सूचना , कामना , इच्छा , शिक्षा , दीक्षा , परीक्षा , माला , ज्वाला , पाठशाला , बालिका , अध्यापिका , परिचारिका , वस्तु , धातु ( खनिज ) , हवा , दवा , वार्ता , कविता , विशेषता , क्रिया , संख्या , विद्या आदि।
 
एकवचन : वृक्ष की लता को मत तोड़ो । मैं एक भाषा जानता हूँ ।
बहुवचन (विभक्तिरहित) : वृक्ष की लताएँ कमजोर हैं । मैं अनेक भाषाएँ जानता हूँ । 
बहुवचन (विभक्तिसहित) : वृक्ष की लताओं को मत तोड़ो । संस्कृत अनेक भाषाओं की जननी है । 
 
लेकिन, आकारांत भाववाचक संज्ञाओं के बहुवचन रूप प्रायः नहीं होते हैं। जैसे — 
मुझे राम की मित्रता पर गर्व है।
मुझे राम और श्याम की मित्रता पर गर्व है।
ऐसे कुछ शब्द हैं — दया , माया , छाया , वेदना , वंदना , याचना , घृणा , करुणा , कल्पना , क्षमा , गरिमा , महिमा , कालिमा , शत्रुता , मूर्खता , एकता , दासता , हिंसा , अहिंसा , आशा , निराशा आदि।
 
(3) — एकवचन स्त्रीलिंग संज्ञा के अंतिम ‘ इ ‘ या ‘ ई ‘ को ‘ इयाँ ‘ तथा ‘ या ‘ को ‘ याँ ‘ में बदल देने से बहुवचन बनता है। जैसे — 
एकवचन : तिथि , नदी , मिठाई , कठिनाई , चिड़िया।
बहुवचन : तिथियाँ , नदियाँ , मिठाइयाँ , कठिनाइयाँ , चिड़ियाँ।
 
ऐसे कुछ शब्द हैं — गाड़ी , घंटी , ताली , मंडी , पकौड़ी , कचौड़ी , चूड़ी , पूड़ी , नारी , साड़ी , उपाधि , समाधि , जाति , चपाती , नारंगी, सारंगी , रीति , नीति , समिति , घड़ी , छड़ी , डोली , बोली , डाली , थाली , गाली , साली , प्याली , रोटी , बेटी , झाड़ी , नाड़ी , तिजोरी , कमजोरी , डिबिया , कुटिया , गुड़िया , पुड़ियाँ , बच्ची , बूढ़ी , लड़की आदि।
 
एकवचन : गलत रीति का विरोध करें । मुझे एक मिठाई दो।
बहुवचन (विभक्तिरहित) : समाज में कई गलत रीतियाँ हैं । मुझे दो मिठाइयाँ  दीजिए।
बहुवचन (विभक्तिसहित) : गलत रीतियों का विरोध करें । मुझे उन मिठाइयों को लाकर दो।
 
आपने एकवचन से बहुवचन बनाने के विभिन्न नियमों को देखा। विभक्तिरहित बहुवचन के अलग-अलग कई नियम हैं , लेकिन विभक्तिसहित बहुवचन के दो ही नियम हैं — शब्दों के अंत में ‘ ओं ‘ या ‘ यों ‘ जोड़ें।
 

वचन से संबद्ध कुछ विशेष बातें

1) — कुछ स्त्रीलिंग या पुंलिंग एकवचन शब्दों में गण , वर्ग , जन , जाति , वृन्द , लोग आदि शब्द लगाने से भी बहुवचन बनता है। जैसे-
गण — पाठकगण , छात्रगण , नेतागण , मंत्रिगण आदि।
वर्ग — शासकवर्ग , अधिकारीवर्ग , शोषकवर्ग आदि।
जन — वृद्धजन , स्त्रीजन , भक्तजन , गुरुजन आदि।
जाति — मनुष्यजाति , स्त्रीजाति , पुरुषजाति आदि।
वृन्द — नारीवृन्द , शिक्षकवृन्द , पाठकवृन्द आदि।
लोग — आपलोग , डॉक्टरलोग , विद्यार्थीलोग आदि।
 
एकवचन : मैं इस पुस्तक के एक पाठक से मिला । यह बड़े घर की नारी है । प्रत्येक मनुष्य समस्याग्रस्त है ।
बहुवचन : हजारों पाठकगण इस पुस्तक से प्रभावित हैं । यह सभा नारीवृन्द के लिए है । मनुष्यजाति संकट में है ।
 
2) — आदर दिखलाने के लिए कभी-कभी एकवचन संज्ञा का प्रयोग बहुवचन जैसा होता है। जैसे — 
दादाजी आये । 
मेरे पिताजी लम्चे हैं । 
उसकी माँजी आयीं ? 
एक गुरुजी आ रहे हैं । 
गाँधीजी महामानव थे । 
रफी साहब महान गायक थे । 
 
3) — कुछ ऐसी पुंलिंग संज्ञाएँ हैं , जो सदा बहुवचन में प्रयुक्त होती हैं। जैसे — आँसू , अक्षत , दर्शन , ओंठ , प्राण , लोग , बाल (केश) , दाम , भाग्य , हस्ताक्षर आदि।
आपके दर्शन हुए । 
अक्षत पड़े । 
उनके आँसू बहे । 
मोहन के भाग्य खुले । 
मेरे ओंठ खुले । 
मेरे हस्ताक्षर हुए । 
उनके प्राण निकले ।
सोहन के बाल पके हैं ।
लोग आए । 
इसके कितने दाम हैं ? 
 
4) — इसके विपरीत – हर , हरएक , प्रत्येक , कोई , जनता , वर्षा , आग आदि शब्दों का प्रयोग सदा एकवचन में होता है। जैसे —
हर व्यक्ति यही करेगा । 
हरएक लड़का यही कहेगा ।
यहाँ प्रत्येक व्यक्ति आया ।
कोई आ रहा है ।
भारत की जनता गरीब है ।
दो दिनों से बहुत अधिक वर्षा हो रही है ।
 
5) — विदेशज भाषा के जो शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं , उनके बहुवचन रूप हिन्दी व्याकरण के अनुसार बनाएँ — 
 
(क) अँगरेजी-शब्द — फुट , पेंसिल , डॉक्टर , स्कूल आदि को अँगरेजी के में अनुसार क्रमशः – फीट , पेंसिल्स , डॉक्टर्स , स्कूल्स न लिखें । इनका बहुवचन प्रयोग होगा — 
दो फुट की एक लकड़ी लाओ।
इनकी माप फुटों में करें।
मेरे निकट दो डॉक्टर रहते हैं।
उन डॉक्टरों से मेरी पहचान है।
ये पेंसिलें नयी हैं।
उन पेंसिलों को रखो।
आज सभी स्कूल बंद हैं।
सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया।
 
(ख) उर्दू-शब्द (अरबी-फारसी) — कागज , मकान , वकील आदि। अरबी फारसी के नियमों से इन्हें — कागजात , मकानात , वकला न लिखें । इनका बहुवचन में प्रयोग होगा 
  • यहाँ कई प्रकार के कागज मिलते हैं। — (विभक्तिरहित) 
  • मुझे सभी कागजों को दिखलाएँ। — (विभक्तिसहित)
  • मेरे सभी मकान अच्छे हैं। — (विभक्तिरहित) 
  • उन मकानों की सफाई करो। — (विभक्तिसहित)
  • आज दो वकील आये। — (विभक्तिरहित)
  • दोनों वकीलों को बुलाओ। — (विभक्तिसहित) 
 
6) — द्रव्यवाचक संज्ञा का प्रयोग प्रायः एकवचन में होता है, लेकिन द्रव्य के प्रकारों का बोध कराना हो, तो उसका प्रयोग बहुवचन में हो सकता है। जैसे — 
  • मेरे पास थोड़ा/बहुत सोना है। — सामान्य प्रयोग 
  • अफ्रीका में कई तरह के सोने मिलते हैं। — प्रकार बोध 
  • उस तेली के पास बहुत तेल है। — सामान्य प्रयोग 
  • वहाँ कई तरह के तेल मिलते हैं। — प्रकार बोध
 
आज के इस लेख मे हमने देखा वचन किसे कहते हैं और वचन के कितने भेद होते है। इस लेख मे हमने विस्तार से जाना की ekvachan kise kahate hain, bahuvachan kise kahate hain हमे उमीद हैं इस लेख द्वारा दी गई जानकारी से वचन किसे कहते हैं को समझने मे आपको काफी मदद मिली होगी। इस लेख को अपने दोस्तो के साथ शेयर जरुर करे।
 
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